Kumar Arunodaya
इस काव्य संग्रह में डॉ० कुमार अरूणोदय ने जिन छोटी-छोटी संवेदनाओं को छुआ है, वह लगता है, प्रत्यक्ष सामने खड़ा हो गया हो। इन संवेदनाओं को और अनुभव करने की आवश्यकता है ताकि उसकी अभिव्यक्ति किसी ठोस धरातल पर हो सके और उस धरातल पर कवि के चिन्तनों के हस्ताक्षर हों। कवि स्वयं सूर्य की तरह 'अरूणोदय' है। इसलिए ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी अरूणिमा संपूर्ण जगत में फैले और वे अपने विचारों के क्रियात्मक बीज साहित्य की बगिया में बोते रहें। निश्चय ही भविष्य ऐसे आशुकवि की प्रतीक्षा कर रहा है।